Saturday, August 18, 2012

तारनहार


 
हे मेरे ईश मेरे तारनहार मेरे मार्गदर्शक, 
तुम्ही ने जीवन से अज्ञान रुपी तम को दूर कर, 
ज्ञान का सच्चा उजियाला फैला दिया है !

हां तुम ही हो जिसने जीवन के भवसागर में, 
डूबती उतरती नैया को किनारे लगा दिया, 
तुम ही मेरी सोच विचारो को दिशा देते हो, 
मेरी सोच को सकारात्मक बना जाते हो !

जब करता है कोई प्रशंसा कर्मो की मेरे, 
तब संकुचित हों आँख मूँद करती ध्यान तुम्हारा, 
मेरे सत्कर्मो के सारथि हो तुम मैं निमित मात्र !

कहते है सब, ईश्वर ने जहाँ बनाया वो सृष्टा जहाँ का, 
लेकिन मेरे लिए तो परमात्मा हो तुम, 
जिसने हर कदम पे मार्गदर्शन किया मेरा, 
हे गुरुवर नित हर पल चाहती हु बस संग तुम्हारा..!

-किरण आर्या 

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