होता है कभी ऐसा भी ज़माने में
ग़ुम जाती है हस्तियां तहखाने में!
टूटता है भ्रम जब किसी आशिक़ का
सिसकता है दिल पड़ा मैखाने में !
इन हसीनो से कह दो कि ना इतराए इतना
क्यूं आता है मज़ा आशिक़ों को तडपाने मे!
मुहब्बत में जब भी रूठता है कोई
है अपना ही मज़ा रूठे को मनाने में !
मृगतृष्णा सी है तपिश दिल के भरमाने में
कट ना जाए उम्र युहीं आने जाने में !
ये इश्क़ का जूनून है कोई सौदा नहीँ यारों
टूट जाते हैं दिल आजमाइशों के पैमाने में !
ग़ुम जाती है हस्तियां तहखाने में!
टूटता है भ्रम जब किसी आशिक़ का
सिसकता है दिल पड़ा मैखाने में !
इन हसीनो से कह दो कि ना इतराए इतना
क्यूं आता है मज़ा आशिक़ों को तडपाने मे!
मुहब्बत में जब भी रूठता है कोई
है अपना ही मज़ा रूठे को मनाने में !
मृगतृष्णा सी है तपिश दिल के भरमाने में
कट ना जाए उम्र युहीं आने जाने में !
ये इश्क़ का जूनून है कोई सौदा नहीँ यारों
टूट जाते हैं दिल आजमाइशों के पैमाने में !
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शुक्रिया